CCI Fine on Google Again: एक महीने में दूसरी बार फाइन, इस बार 936 करोड़ का

CCI Fine on Google: कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने आज 25 अक्टूबर के दिन एक बार फिर Google पर 936.44 करोड़ का फाइन लगाया है, इस बार ये फाइन Anti competitive Practice के लिए लगाया है जो उसकी Play Store की पालिसी से जुडी है।  

cci fine on google again

अभी कुछ ही दिन पहले कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने Google पर लगभग 1337 करोड़ का जुर्माना लगाया था। CCI भारत की एक संस्था है जो भारत के अंदर कंपनियों के बीच इस बात का ध्यान रखती है कि उसमें कॉम्पिटिशन बना रहे। किसी भी प्रकार का अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस ना हो। लेकिन अभी हुआ क्या है आइये समझते हैं, Google के ऊपर 2019 से इन्वेस्टिगेशन चल रहा था। और अब यहाँ पर फाइनली CCI ने गूगल पर लगभग 162 मिलियन डॉलर (1337 करोड़) की पेनल्टी लगा दी, और 25 अक्टूबर के दिन एक और 936 करोड़ की पेनल्टी लगा दी है। 

क्यों बार बार पेनल्टी लगाई जा रही है? इसका क्या कारण है? जो पेनल्टी है वो कम है या ज्यादा है? Google ने क्या सफाई दी है ? इन सब बातों को विस्तार से समझेंगे आइये आगे बढ़ते हैं। 

CCI Fine on Google आखिर ये मामला क्या है

कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया CCI ने Google पर 1337.76 करोड़ का पेनल्टी लगाया है। गूगल की पैरेंट कंपनी Alphabet है। हुआ ऐसा है कि Google ने एंड्राइड मोबाइल डिवाइस में कुछ Anti Competitive प्रैक्टिस की है जो उसे नहीं करना चाहिए थी। एंड्राइड डिवाइस का मतलब है कोई भी मोबाइल को एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करता है। आप जो भी मोबाइल खरीदते हैं उसे कोई न कोई कंपनी बनाती है जिसे OEM (Original Equipment Manufacturer) कहते हैं जैसे कि Motorola, Samsung, Oneplus आदि। ये सभी कंपनी एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम पर काम करने वाला मोबाइल बनाते हैं, और ये एंड्राइड OS Google की परमिशन से मिलता है, गूगल एक एग्रीमेंट करवाता है कि मेरी कुछ apps आपको अपने डिवाइस में Pre Install करना पड़ेगी।। इसलिए CCI का कहना है कि Google एक डॉमिनेंट प्लेयर है मतलब उसके आस पास कोई कॉम्पिटिशन ही नहीं है मार्केट में और इसकी वजह से गूगल ने  इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाने की कोशिश की है। CCI ने साफ साफ बोल दिया है की आप ये जो भी अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिसेस कर रहे हो, इसे तुरंत रोकना चाहिए। इन फैक्ट एक टाइम पीरियड भी दिया गया है। गूगल को 30 दिन का समय दिया गया है कि जितनी भी फाइनेंशियल डिटेल्स हैं या डॉक्यूमेंट है वो सब कुछ यहाँ पर CCI को सबमिट करे और अगर ऐसा नहीं करता है तो ये जो 1300 करोड़ का फाइन है इसको और भी बढ़ाया जा सकता है।

आप CCI के इस ट्वीट को देख सकते हैं :

cci penalty on google (1)

Google पर पेनल्टी इन 5 मार्केट को खराब करने के लिए लगी है (CCI fine on Google)

Google एक बहुत बड़ी कंपनी है और CCI ने google पर फाइन इसलिए लगाया है क्यूंकि उसने 5 मार्केट में गलत तरीके से Trade Practice की है। आईये सबसे पहले जानते हैं इन 5 मार्केट्स को:

1. Market for licensable OS for smart mobile devices.

2. App store for Android smart mobile OS.

3. Market for General Web Search Services.

4. Market for non-OS specific mobile web browsers.

5. Market for Online Video Hosting Platforms (OVHP).

इन 5 तरह के मार्केट में Google अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस कर रहा है, इन सभी मार्केट के अंदर Google एक डोमिनेंट प्लेयर है उसके कम्पटीशन में कोई भी दूसरा नहीं है और है तो बहुत ज्यादा बड़ा नहीं है।  

Google VS CCI (दोनों का क्या कहना है इस फाइन के बारे में)

जो कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया है, उन्होंने बताया की जब भी कोई मोबाइल खरीदता है। तो उसके अंदर प्री इन्सटॉल्ड ऐप्स आते हैं। भले आप कोई भी मोबाइल ले लें सैमसंग, वन प्लस, मोटोरोला आदि। जब आप पहली बार ऑन करते हो, उसमें आपने देखा होगा कुछ एप्लिकेशन पहले से इंस्टॉल होते है। जैसे की यूट्यूब, सर्च इंजिन आदि। अगर उस मोबाइल में पहले से ही गूगल का सर्च इंजन इंस्टाल्ड है तो क्या कोई दूसरा सर्च इंजन डालेगा? नहीं डालेगा वो सिम्पली गूगल में ही सर्च करना स्टार्ट कर देगा और इससे फायदा किसका होगा? गूगल का होगा। और कुछ ऐप्स तो  आपके मोबाइल में ऐसे होते हैं जो इंस्टाल रहते हैं और आप उसको हटा ही नहीं सकते। Google इस तरह से अपने ही दूसरे बिज़नेस को प्रॉफिट करवा रहा है और यही Google का डोमिनेंट पोज़ीशन है इन सारे मार्केट में। ये जितनी भी चीजें हैं वो कॉम्पिटिशन कमिशन ऐक्ट (CCA) के तहत गलत हैं। 

CCI Penalty Google

Google का इस बारे में कुछ और ही कहना है वो कहता है कि हम डोमिनेंट प्लेयर नहीं हैं। Google बताता है कि वो एक बड़ा प्लेयर है लेकिन डोमिनेंट नहीं और गूगल के अनुसार उसके कॉम्पिटिटर में Apple भी है। लेकिन CCI इस बात को मानने से इंकार करती है और कहती है कि Apple आपके प्रोडक्ट्स का substitute नहीं है, उसके प्रोडक्ट स्पेसिफिक हैं, जैसे कि एंड्राइड फ़ोन में आप iOS नहीं चला सकते, इसलिए ये कहना की आप डोमिनेंट प्लेयर नहीं हो ये गलत है और इसी के चलते उसने CCI ने Google पर जुर्माना लगाया है। 

Google पर CCI की इन्वेस्टिगेशन कब से चल रही है

CCI 2019 से इसकी इन्वेस्टीगेशन कर रहा था उन्होंने अपने पिछले 2 साल के पूरे इन्वेस्टिगेशन में ये पाया कि गूगल कॉम्पटीशन को खत्म करने की कोशिश कर रहा है। Google जो भी स्टेप्स लेता है यही सोचकर लेता है कि उसका कोई कॉम्पिटिटर ही न रहे। इस बात को आप नहीं समझे होंगे आइये एक उदाहरण से समझते हैं। Google ओरिजिनल इक्विपमेंट मैनुफैक्चर (OEM) (जैसे कोई भी Mobile मैन्युफैक्चरर Motorola, Samsung, Etc) के साथ एग्रीमेंट करता है कि हम आपको Android तभी यूज़ करने देंगे जब आपके मोबाइल में हमारे apps प्री इन्सटाल्ड होंगे। इसके बाद OEM के पास कोई ऑप्शन ही नहीं रहेगा और वो Google की बात मानेंगे ही। Google की इसी मनमानी को रोकने के लिए CCI ने Penalty लगायी है Google पर। 

2018 में भी एक बार फाइन लगाया गया था। इसके साथ साथ स्मार्ट टीवी मार्केट में भी उस पर केस चल रहा है। 

ये भी पढ़िए: PFI पर क्यों लगा था बैन

सितम्बर 2021 में लगभग 1 साल पहले कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) जब इनकी इन्क्वायरी कर रही थी तो उसमें से कोई पेपर लीक हो गया था और उसमें Google की पेनाल्टी लगने वाली बात सामने आ गयी थी। और फिर गूगल ने उल्टा केस CCI पर लगा दिया था। 

क्या भारत ने Google पर ज्यादा पेनल्टी लगाई है 

कॉम्पिटिशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने Google पर जो पेनल्टी लगाई है वो बहुत कम है। जी हाँ, दूसरे देश जहाँ पर Google पर पहले कभी पेनल्टी लगाई गयी है वो भारत से कई गुना ज्यादा है। यूरोपियन कमीशन ने 2017 में लगभग 20,000 करोड़ की पेनल्टी लगाई थी और उसका कारण भी यही अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस करना था। 2018 में भी लगभग 30000 करोड़ से भी ज्यादा का पेनल्टी लगाया गया था। 

अमेरिका की ही बात करलें अभी Texas में Google पर आरोप लगाया है कि उसने गलत तरीके से लोगों का बायोमेट्रिक डाटा चुराया है, इसके ऊपर भी केस चल रहा है। 

Conclusion (निष्कर्ष)

Google पे अगर इतनी बड़ी पेनल्टी लगायी जा रही हैं तो आप अंदाजा लगाइये की उसने इस तरह बिज़नेस करके कितना कमा लिया होगा। Google को इस तरह की अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस नहीं करना चाहिए, जिससे की मार्केट में कोई कॉम्पिटिटर ही न रहे। इसलिए भारत सरकार ने ये सही कदम उठाया है। 

आपको ये जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट के माध्यम से जरूर बताएं, धन्यवाद !


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